पिता ने पंचर बनाकर बिटिया को पढ़ाया, तो बेटी ने NEET UG में टॉप करके पिता का सर गर्व से ऊंचा कर दिया। यह कहानी है महाराष्ट्र के जालाना शहर में पंचर की दुकान पर काम करने वाले अनवर खान की बेटी मिस्बाह की। जिसने NEET UG की परीक्षा क्रेक कर के अपने पिता के सर को पूरे जिले में गर्व से ऊंचा किया। जालाना जिले के लोग उन्हें खूब बधाइयां दे रहे हैं।
मिस्बाह ने जालाना से NEET UG में किया टॉप
मिस्बाह महाराष्ट्र के जलाना शहर में रहती हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। उनके पिता श्री अनवर मोटरसाइकिल पंचर बनाते हैं और उनकी मां घर संभालती है। ऐसे हालातों में भी मिस्बाह ने कड़ी मेहनत और लगन से दूसरे अटेम्प्ट में NEET UG की परीक्षा उत्तीर्ण की जानकारी के लिए आपको बता दें मिस्बाह ने इस परीक्षा में 720 में से 633 नंबर हासिल किये। उनकी इस सफलता से उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।
क्या कहा मिस्बाह के माता-पिता ने
मिस्बाह ने यह परीक्षा इतने अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण करके अपने माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। इस खुशी के मौके पर मिस्बाह के माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू झलक रहे थे,जो उनकी खुशियों का बयान कर रहे थे। उनकी बेटी की वजह से उन्हें पूरे जिले के लोग बधाइयां दे रहे थे।
बेटी की सफलता का क्रेडिट पिता ने किसे दिया
मिस्बाह के पिता ने अपनी बेटी की इस सफलता का क्रेडिट अंकुश सर को दिया। उनका कहना है कि’ अगर अंकुश सर का मार्गदर्शन ना होता तो मिस्बाह को यह सफलता हासिल ना होती।’ दरअसल दो-तीन साल से मिस्बाह जालना में अंकुश सर किस क्लास में NEET की मुफ्त क्लास कर रही थी। विवाह के पिता का कहना है कि अंकुश सर के सही मार्गदर्शन और बेटी की कड़ी मेहनत और लगन की वजह से आज उनकी बेटी ने जालना से NEET UG की परीक्षा में टॉप किया है।
अंकुश सर चलाते हैं NEET की मुफ्त कोचिंग
मिस्बाह को जालना मैं NEET की परीक्षा की तैयारी कराने वाले अंकुश सर का कहना है कि, ‘ हम जालना में गरीब छात्रों के लिए एक योजना चलाते हैं जिसके तहत से गरीब छात्र-छात्राओं को मुफ्त कोचिंग दी जाती है। इसी योजना के तहत मिस्बाह को भी मुफ्त कोचिंग भी गई थी और अब हमें लगता है कि हमारी यह मेहनत रंग ला रही है।’
मिस्बाह MBBS डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती हैं
मिस्बाह की सफलता पर उन्होंने बताया उन्होंने किस तरह से यह सफलता हासिल की। खिलता ने बताया कि उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी लेकिन फिर भी वह दिन रात सिर्फ पढ़ाई करती थी, कैसे भी हालात तो उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती है इस कथन को मिस्बाह ने एक बार फिर से सच कर दिखाया। मिस्बाह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी तेज रही है, इन्होंने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 92% नंबर हासिल किए और बारहवीं बोर्ड परीक्षा में 86% नंबर हासिल किए हैं।मिस्बाह ने बताया कि वह एमबीबीएस डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती हैं।